Monika garg

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लेखनी कहानी -13-May-2022#नान स्टाप चैलेंज# ईमानदार

नीरा जल्दी करो और कितना समय लोगी, पार्क जा रहे हैं, टहलने कहीं शादी-पार्टी में नही। संकल्प अपनी पत्नी नीरा से ऐसा कह हंसने लगता है। अंदर से नीरा झुंझलाते हुए बाहर आती है। नीरा - हां हां मालूम है मुझे ,की कहीं शादी में नहीं जा रहे हैं। अब चलो भी, बस रास्ते में रेहान का हाथ मत छोड़ना उसकी बगैर आगे पीछे देखे दौड़ने की आदत बहुत बुरी है। संकल्प - हां हां मैं नहीं छोडूंगा बल्कि मैं तो अपने रेहान बेटे को गोद में लेकर चलूंगा। इतना सुनते ही चार साल का रेहान खुशी खुशी हंसते हुए पापा की गोदी में चला जाता है। नीरा और संकल्प हाथों में हाथ थामे पार्क पहुंच जाते हैं, और रोज की तरह रेहान दौड़ना उछलना शुरू कर देता है। वहीं पार्क के गेट पर बेकरी की दुकान में एक भिखारी बेक समोसे कि ओर हसरत भरी निगाह से ताकते हुए दुकानदार से। भिखारी- भईया कुछ खाने को दे दो। दुकानदार- बाबा आगे जाओ अभी शाम का वक्त है, दिया - बाती का टाइम है। भिखारी - नहीं हम पैसे देंगे आपको, भूख लगी है हमें, ये दे दो, बेक समोसे कि ओर इशारा करते हुए 10 रुपए का सिक्का उसके हाथ में रख देता है जिसे देखने के बाद दुकानदार का पारा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है। दुकानदार - यहां क्या मजाक करने आया है, ये पकड़ अपने दस रुपए और निकल यहां से, ये 30 रुपए का है, दुकानदार गुस्से में बड़बड़ाता रहता है और भिखारी वहां से उदास हो उल्टे पांव लौट जाता है, लेकिन कुछ मिलने की आस लिए पार्क के अंदर चला जाता है, वहां पास ही की एक बेंच पर अभी अभी पार्क के कुछ राउंड लगाकर आए हुए नीरा और संकल्प बैठे हुए थे। भिखारी अपना हाथ फैलाए संकल्प के सामने झुक कर खड़ा हो जाता है, उसे देखते ही संकल्प जैसे फट पड़ता है। संकल्प - कहां घुसा चला आ रहा है, हट सामने से गुस्से से कहे इन तिरस्कार भरे शब्दों से डरते हुए भिखारी थोड़ी दूर होकर बेंच के पास नीचे बैठ जाता है। संकल्प के ऐसे बर्ताव से नीरा नाराज़ होते हुए धीरे से संकल्प से कहती है । नीरा - इतना जोर से डांटने की क्या जरूरत थी, पैसे नहीं देने थे तो मना कर देते, बीच में ही टोकते हुए संकल्प - इनसे ज्यादा सहानुभूति दिखाने की ज़रूरत नहीं है, तुम्हे मालूम है कि पिछले हफ़्ते जो आनंद नगर में चोरियां हुई थी । उसमें जो भी चोर पकड़े गए थे वो सभी भीख मांगने का ही काम करते थे, उनका पूरा गिरोह सक्रिय है शहर में, हो सकता है कि ये भी उसी गिरोह का हिस्सा हो, उन भिखारियों ने पुलिस के सामने ये कबूला भी है कि दिन भर भीख मांगने के बहाने वो गली गली की रेकी किया करते थे, और रात में चोरी। नीरा - हां मैंने भी न्यूज पेपर में पढ़ा था इस बारे में, लेकिन फिर भी इस तरह का बर्ताव अच्छा नहीं है। ज़रा देखो उस बेचारे को कैसे मुंह उतर गया है उसका, कितना दुखी है वो। संकल्प - हां तुम्हें बड़ी दया आ रही है उस पर तुम्हारा बस चले तो तुम दुनिया भर के भिखारियों को घर में पनाह दे दो। नीरा - मेरा वो मतलब नहीं है। संकल्प - अब छोड़ो भी तुम्हारा मतलब, वो देखो रेहान चला आ रहा है दोस्त की फुटबॉल लेकर , फिर दौड़ाएगा अब मुझे। नीरा- हंसते हुए हां तो आप खेलो मैं तो चली टहलने। अरे रुक भी जाओ संकल्प ने कहा उसे तो आ जाने दो। पापा कुछ खाना है दुकान में चलो । संकल्प - अच्छा बेटा चलो। ठीक है आप दुकान से आओ तब तक मैं वॉक कर लेती हूं, नीरा ने कहा। संकल्प - ओके, संकल्प और रेहान उस बेकरी में जाते हैं । क्या खायेगा रेहू। रेहान - पापा चॉकलेट, आइसक्रीम, और बिस्कुट और, अरे बस बस अब पूरी दुकान लेगा क्या संकल्प ने कहा। रेहान ये सुन खिलखिला पड़ता है। संकल्प - भईया एक चॉकलेट दे दो। रेहान और क्या चाहिए। पापा बेक समोसा भी रेहान ने चहकते हुए कहा। बेक समोसा और चॉकलेट लेकर, रेहान को गोद में उठा संकल्प पार्क की ओर चल पड़ा, और वहां पहुंचने भर की देर थी कि बेंच में बैठते ही रेहान खाने की बजाए फिर खेलने के लिए अपनी मां के पास भागने लगा, जिसे बमुश्किल पकड़ कर संकल्प फिर बेंच पर लाया और अपना मोबाइल बेंच पर रखकर उसे बेक समोसा देने लगा। लेकिन रेहान ने चॉकलेट की ज़िद की। रैपर फाड़ जैसे ही संकल्प ने चॉकलेट उसके हाथ में थमाई, वह फिर खेलने के लिए पार्क के बीचों बीच बने मैदान के लिए दौड़ पड़ा, रेहान कहीं गिर न जाए इस डर से संकल्प उसके पीछे आवाज़ देते हुए दौड़ा इस हड़बड़ाहट में उसका पर्स लोवर की जेब से वहीं गिर गया।वह जब ये सुनिश्चित कर चुका कि रोहित अब अपनी उम्र के बच्चों के साथ मस्ती से खेल रहा है तो निश्चित होकर जैसे ही जेब में मोबाइल निकालने के लिए हाथ डाला तो वो नदारद था तो आदतन दूसरी जेब में पर्स टटोला।
  और पर्स को वहां न पाकर वह मैदान के दूसरी ओर पार्क की उस बेंच को देखता है जहां वह बैठा हुआ था। तुरंत उसकी नज़र उस बूढ़े भिखारी को तलाशती है। जो की वहीं बेंच के पास नीचे बैठा हुआ था। अरे लेकिन ये क्या, बूढ़ा भी नदारत था। अब उसका शक यकीन मैं बदलता जा रहा था। चोरी के डर से संकल्प गुस्से में बड़बड़ाता हुआ बेंच की ओर भागा, चिंतित नीरा भी उसके साथ हो ली। संकल्प का चेहरा गुस्से में लाल हुआ जा रहा था। संकल्प - मैंने चॉकलेट का रैपर फाड़ते समय मोबाइल, बेक समोसा के पास ही बेंच में रख दिया था, और शायद रेहान के पास आते हुए पर्स भी वहीं गिरा होगा। नीरा - ओ-हो ध्यान तो रखना चाहिए अपनी चीजों का। संकल्प झल्लाते हुए - तुम्हे बड़ी दया आ रही थी न उस भीखारी पर, मैंने समझाया भी था , अब देख लो और खाओ ऐसे लोगों पर तरस। कितना समझाऊं तुम्हे कुछ समझ में आए तब न , पता नहीं कहां भागा होगा चोरी करके। अब  जब कि एआर कराने थाने के चक्कर काटने पड़ेंगे। बस वो बूढ़ा मुझे एक बार मिल जाए तो मुंह तोड़ दूंगा उसका मैं। इसी तरह झल्लाते हुए जैसे हि संकल्प वहां पहुंचता है ठिठक जाता है और कुछ पल पहले तक बुरा भला बोल रहे संकल्प के मुंह से शब्द निकलना बंद हो जाते हैं, और वो बिल्कुल शांत हो बेंच की ही ओर निहारता रहता है। तभी पीछे से नीरा भी उसके पास पहुंच जाती है, उसे स्तब्ध खड़ा देख आश्चर्य से बेंच की ओर देखती है। संकल्प का पर्स वहीं पड़ा हुआ है, मोबाइल भी बेंच में रखा है, बस अगर कुछ नहीं है तो वो बेक समोसा है, लेकिन उसकी जगह 10 रुपए का एक चमचमाता हुआ सिक्का रखा है। और संकल्प की आंखों में कुछ है तो वो है पछतावा।

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2 Comments

Gunjan Kamal

17-Dec-2022 09:10 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Varsha_Upadhyay

16-Dec-2022 06:51 PM

बहुत ही सुन्दर

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